” ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलय बुध्दिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा “ तेन दीक्षेति हि् प्रोक्ता प्राप्ता चेत् सद्गुरोर्मुखात।। ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्व दुष्टानाम वाचं मखम पदम् स्तम्भय। अर्थात् : जिसने ज्ञान-विज्ञान की प्राप्ति होती है और पाप-समूह नष्ट होते हैं ऐसे सद्-गुरू के मुख https://directory-2020.com/listings976666/the-greatest-guide-to-careersolution